tag:blogger.com,1999:blog-76719118860566136662024-02-20T16:57:32.826+05:30हिंदी सृजन हिंदी कवितायेँ , हिंदी लेख, छाड़िकाएँ इत्यादिहिंदी सृजनhttp://www.blogger.com/profile/01728992778013160905noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-7671911886056613666.post-51538953189463114532024-01-21T21:21:00.002+05:302024-01-21T21:23:34.046+05:30श्री राम के जैसा<p> श्री राम के जैसा</p><p><br /></p><p>बनो राम के जैसा, </p><p>यदि ईश्वर को पाना है,,</p><p>श्री राम के हम सब हैं,</p><p> उन्हें दिल में बसाना है,,</p><p>दुनिया के पाखंडों में,</p><p> श्री राम नहीं बसते,,</p><p>इस मूर्खता को देख,</p><p> सभी ज्ञानी पुरुष हंसते,,</p><p>छल कपटी अंधेरों को, </p><p>हर दिल से मिटाना है,,</p><p>श्री राम के हम सब हैं,</p><p> उन्हें दिल में बसाना है।.......</p><p><br /></p><p>माता की आज्ञा से,</p><p> वनवास को धाये थे,,</p><p>भ्राता और पत्नी संग,</p><p> निज धर्म निभाएं थे,,</p><p>मां अहिल्या को तारा,</p><p> और तारा जमाना है,,</p><p>श्री राम के हम सब हैं,</p><p> उन्हें दिल में बसाना है।.......</p><p><br /></p><p>शबरी के झूठे बेर,</p><p>बड़े प्रेम से खाए थे,,</p><p>ना घमंड किया कोई,</p><p>वह एक राजा के जाए थे,,</p><p>न जाति धर्म कोई, </p><p>सबको एक ही माना है,,</p><p>श्री राम के हम सब हैं,</p><p>उन्हें दिल में बसाना है।.......</p><p><br /></p><p>प्रभु ने मेहनत करके,</p><p>इस सृष्टि को सींचा है,,</p><p>श्री राम की आशाओं का,</p><p>यह शुद्ध बगीचा है,,</p><p>सुनील कुमार विनती करते,</p><p>अब अयोध्या हमको जाना है,,</p><p>श्री राम के हम सब हैं,</p><p> उन्हें दिल में बसाना है।........</p><p><br /></p><p>🙏🙏सादर अर्पित🙏🙏</p><p>🙏🙏सुनील कुमार🙏🙏</p>हिंदी सृजनhttp://www.blogger.com/profile/01728992778013160905noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7671911886056613666.post-45418181692360419572021-08-07T23:23:00.002+05:302022-11-04T09:35:45.462+05:30<p> चंद पंक्तियाँ अर्पित कर रहा हूँ, उस नन्ही सी परी के लिए जो आज अपनों के संग नहीं है, मेरी विनती है देश के महामहीम जी से। आशा है आप मेरी व्यथा को समझने में मेरी मदत करेंगे, मेरा मन बहुत ही विचिलित हो रहा था कुछ कहने को , अगर मेरे द्वारा कहे गए शब्द किसी को ठेस पहुंचाते हैं तो में छमा का पात्र हूँ।🙏🙏</p><p><br /></p><p>🙏🙏प्रार्थना🙏🙏</p><p><br /></p><p>क्यों हो रहे अत्याचार,</p><p>बताओ ना मोदी जी,,</p><p>समझाओ न मोदी जी,</p><p>कुछ अपने दिल की बात,</p><p> सुनाओ न मोदी जी,,....</p><p><br /></p><p>मां - बहनों की जिंदगी,</p><p>खतरे में पड़ी हुई,,</p><p>मेंहगाई की मार इस,</p><p> आकाश में चढ़ी हुई,,</p><p>भारत की जनता को पार,</p><p>लगाओ ना मोदी जी,,.....</p><p><br /></p><p>जातियवाद धर्म के बोझ से दबते ही आये हैं,</p><p>भ्रस्टाचार की चक्की में पिसते ही आये हैं,,</p><p>इन पापी और गद्दारों से बचाओ न मोदी जी,, क्यों हो रहे...</p><p><br /></p><p>ये लाचार समाज अब तक सोता आया है,</p><p>इन पर अत्याचार अबतक होता आया है,,</p><p>इस पुराने इतिहास को न जगाओ मोदी जी,,</p><p>आल्हा की रखी तलवार को न उठाओ मोदी जी, </p><p>कुछ समझाओ मोदी जी,,</p><p> क्यों हो रहे अत्याचार बताओ न मोदी जी.....</p><p><br /></p><p>पैसों के बल से तोल रहे, दीनों की इज्जत को,,</p><p>इज्जत का न कोई मोल है, रोको इस बेइज्जती को,,</p><p>इस मानवता में दाग न लगवाओ मोदी जी,,</p><p>उन पापियों को फांसी पर चढ़ाओ मोदी जी,,</p><p>क्यों हो रहे अत्याचार, बताओ ना मोदी जी,,......</p><p><br /></p><p>ये सुनील हाथ जोड़ विनती करता है,</p><p>राजा का आप स्वरूप जो न्याय करता है,,</p><p>इन माँ- बहनों के दरिंदो को दंड दिलाओ मोदी जी,,</p><p>सुनील कुमार की प्रार्थना ना ठुकराओ मोदी जी,,</p><p>क्यों हो रहे अत्याचार जरा समझाओ मोदी जी।......</p><p><br /></p><p>🙏🙏सादर निवेदित🙏🙏</p><p> सुनील कुमार</p>हिंदी सृजनhttp://www.blogger.com/profile/01728992778013160905noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7671911886056613666.post-81731646875952893352020-07-12T20:58:00.003+05:302022-11-04T09:34:30.266+05:30<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
बुराई का प्रतीक विकाश दुबे<br />
<br />
कंटीली झाड़ियों से बचना ही बेहतर है,<br />
त्याग दो ऐसी राहों को जहाँ चलना भी मुश्किल है,,<br />
मजा पाने के लिये सजा अनिवार्य है प्यारे,<br />
मौत जब आ ही गयी द्वारे समय टालना भी मुश्किल है।........<br />
<br />
कर्म करने से पहले जरा सोचो और समझो,<br />
कहीं गलती ना हो जाये, कार्य को टालना चहिये,,<br />
बिना सोचे ही लालचवश कदम को रोकना वाजिब,<br />
कदम रखते डगमगा जाये, अपने को सम्हलना चहिये।.........<br />
<br />
ये पेटा ना भरा ना भर रहा, ना कभी भरते देखा है,<br />
समझ यदि अपने अंदर हो, कभी ना कर्म से बिचले,,<br />
रुलाकर क्यों हंसते हो महफ़िल में, वो ऊपर वाला देख रहा,<br />
क्यों दौलत पे मरते हो ना दौलत साथी बनी पगले।..........<br />
<br />
नांस क्यों कर रहे अपना जरा बच्चों की तरफ देखो,<br />
ये दुनियाँ बहुत ही जालिम तुझे जड़ से मिटा देगी,,<br />
ये नाजुक तन और मन तेरा क्यों इसको व्यर्था दुःख देते,<br />
पाप की एक ही चिंगारी तुझे पल में जला देगी।..........<br />
<br />
विश्व के झूठे रिस्ते-नाते सभी मतलव के साथी है,<br />
विपति में देख छुप जाते कोई भी साथ नहीं देता,,<br />
यदि छोड़ दे मोह माया को ईश्वर पर भार छोड़ अपना,<br />
वही सच्चा एक सेवक है, भंवर में डूबने ना देता।........<br />
<br />
ये गाथा विकाश दुबे पर है, जिसने ना सोचा और नहीं समझा,<br />
ढह गये महल काँटों के आप सुख की निंदिया सोये,,<br />
धर्म के कार्य किये होते दुर्दशा ना होती इनकी,<br />
बुराई रह गई जग में, सुनील कविता में व्यंग बोये।.........<br />
<br />
सादर अर्पित।<br />
सुनील कुमार<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br /></div>
हिंदी सृजनhttp://www.blogger.com/profile/01728992778013160905noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7671911886056613666.post-90734072500553672442020-07-10T20:51:00.003+05:302022-11-04T09:38:02.838+05:30<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
कुछ पंक्तियाँ निवेदित कर रहा हूँ, आशा है कि आप सभी का स्नेह व आशीर्वाद मिलेगा।<br />
<br />
साँड़<br />
<br />
पैदा हो गया साँड़, निरंकुश घूमे वन में,<br />
करै मनमानी काम ना चिंता उसके मन में,,<br />
<br />
माँ-बाप और परिवारी जनों ने अच्छा समझा,<br />
किये सदां ही कार्य सफलता धन- दौलत में,,......<br />
<br />
करि माया अभिमान नसे में मस्त वो रहता,<br />
बना बड़ा बदमाश कि कोई कुछ नहीं कहता,,<br />
<br />
दस बीघा में आवास, कोठियां बनाई न्यारी,<br />
भय का बना दवाब, समाज सब दुःख सहता,,....<br />
<br />
कितने हत्याकांड कोई कुछ ना कर पाया,<br />
भरा पाप का घड़ा, अंत तेजी से आया,,<br />
<br />
सभी दलों ने उसको अब तक सीस झुकाया,<br />
हुआ भाजपा राज उसको वहुबिधि समझाया,,....<br />
<br />
अंत समय जब आयेगा, बुद्धि फिर जाती है,<br />
कितने दो उपदेश समझ ना कुछ आती है,,<br />
<br />
बढ़े पाप का वजन कि पृथ्वी घबराती है,<br />
पापी का अंत करने में ना फिर सकुचाती है,,.........<br />
<br />
गिरफ्तारी वारेंट दिया पहले भिजवाई,<br />
जंगली साँड़ को पकड़ने पुलिस उसके घर आई,,<br />
<br />
नहीं माना फिर भी साँड़ आतंकी हाथ दिखाया,<br />
आठ पुलिस वालों को पल में मार गिराया,,.......<br />
<br />
योगी ने की छापे मारी, उसका महल गिराया,<br />
भाग गया वो साँड़ पुलिस के हाथ ना आया,,<br />
<br />
करि के छापेमारी साँड़ के सहकर्मी मारे,<br />
महाकाल के उज्जैन में साँड़ फंस गये विचारे,,.......<br />
<br />
किया तुरंत गिरफ्तार साँड़ को मार गिराया,<br />
एनकाउंटर का नाम पुलिस ने खुद दर्शाया,,<br />
<br />
नेताओं में सियासत होने लगी भारी,<br />
कहां पलटी कार सवाल पै सवाल निकारी,,......<br />
<br />
क्या धन-दौलत साथ ले गया, क्या सुखी परिवार रहा,<br />
रह गई बुराई पृथ्वी पर, बिना मौत मारा गया,,<br />
<br />
हाथ जोड़ कर करूँ विनती, मतना ऐसा काम करो,<br />
इंसानियत रूपी कर्म करो,<br />
सुनील की कविता का नाम करो,,.....<br />
<br />
जय हिंद।<br />
<br />
🙏🙏सादर अर्पित🙏🙏<br />
सुनील कुमार</div>
हिंदी सृजनhttp://www.blogger.com/profile/01728992778013160905noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7671911886056613666.post-85090510847760137682020-07-07T21:18:00.001+05:302022-11-04T09:33:35.516+05:30पक्षी का रहस्य<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
आज में पक्षी के रहस्यमई रूप का वर्णन करने की कोसिस कर रहा हूँ, आशा करता हूं, आपका स्नेह, आशीर्वाद अर्जित कर सकूं।<br />
<br />
पक्षी का रहस्य<br />
<br />
विचित्र रहस्य पक्षी मन बसि हैं,<br />
धूप, छांव, भूख, प्यास सब तजि हैं,,<br />
<br />
मेहनत कस तन, मन हि बनावहिं,<br />
लक्ष्य निरखि मानव हिय लजि हैं,,<br />
<br />
ताकी लगन अनौखी शान,<br />
श्रेष्ठ बुलंदी लखि असमान,,.....<br />
<br />
श्याम, गौर का भेद न ताके,<br />
विकल, विफल नहिं उर बसि जाके,,<br />
<br />
भक्ति, भावना श्रेष्ठ सुहाइहिं,<br />
नित्य नेम गुड़गान भगवां के,,<br />
<br />
ना छल-कपटी राग अरु तान,<br />
श्रेष्ठ बुलन्दी लखि असमान,,.....<br />
<br />
दिवस जाइ और रैन बितावै,<br />
खा फल फुलहिं मौज उड़ावै,,<br />
<br />
भोर होइहि मानव को जगाते,<br />
अपने स्वर में सब बतलाते,,<br />
<br />
इत-उत भरते मधुर उड़ान,<br />
श्रेष्ठ बुलन्दी लखि असमान,,......<br />
<br />
चारों दिश कौलाहल सोहे,<br />
ताकी ध्वनि अंतर्मन मोहे,,<br />
<br />
कोई राग सुरीला गावै,<br />
कोई कांव, कांव चिल्लावै,,<br />
<br />
पीहुँ, पीहुँ कर गाइ पपैया,<br />
चातक, मोर सुंदर कोयलियाँ,,<br />
<br />
इनकी महिमा अति महान,<br />
श्रेष्ठ बुलन्दी लखि असमान,,.....<br />
<br />
दादुर टर्र, टर्र करि गावै,<br />
लाखों भाषा में स्वर पावै,,<br />
<br />
मन मोहक है अजब कहानी,<br />
आलस त्याग बने बरदानी,,<br />
<br />
सुनील कुमार कथि सार ही शान,<br />
श्रेष्ठ बुलन्दी अति स्वर्ग की खान,,...<br />
<br />
🙏🙏सादर अर्पित।🙏🙏<br />
सुनील कुमार</div>
हिंदी सृजनhttp://www.blogger.com/profile/01728992778013160905noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7671911886056613666.post-84373722506580555152020-07-05T18:26:00.002+05:302022-11-04T09:38:35.450+05:30<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
गुरु पूर्णिमा<br />
<br />
गुरु पूर्णिमा नहीं सिखाता,<br />
अंधकार में ठोकर खाना,,<br />
शास्त्रों में विख्यात गुरु को,<br />
ज्ञान का दीप जलाना,,<br />
<br />
कुछ अज्ञानी तत्व, गुरु को समझ ना पाये,<br />
रचे बहुत पाखंड, धाम लाखों बनवाये,,<br />
<br />
इक ईश्वर को आज हजारों में बांटा जाता,<br />
करें मतलवी प्यार, विश्व मे झूठा नाता,,<br />
<br />
दीन, हीन, भुखमरी से जनता आज मर रही,<br />
मंदिरों में अरबों का दान, बोरियाँ रोज भर रहीं,,<br />
<br />
करै दिखावा गुरु, शिष्य का समझ ना आता,<br />
गुरु पूर्णिमा का पर्व अंधी भटकान मिटाता,,<br />
<br />
मत करो शास्त्र बदनाम, गुरु को ना दाग लगाओ,<br />
सुनील कुमार का कथन सभी अंधकार मिटाओ,,.......<br />
<br />
🙏🙏सादर अर्पित।🙏🙏<br />
<br />
सुनील कुमार।</div>
हिंदी सृजनhttp://www.blogger.com/profile/01728992778013160905noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-7671911886056613666.post-78935841458709500962020-07-03T22:49:00.002+05:302022-11-04T09:39:06.569+05:30<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
🙏में देश नहीं झुकने दूंगा🙏<br />
<br />
मैं देश नहीं झुकने दूंगा,<br />
मैं देश नहीं रुकने दूंगा,,<br />
<br />
संकट पे महा संकट आये,<br />
मैं बढ़े कदम ना हटने दूंगा,,......<br />
<br />
हम लड़ते रहे हैं, लड़ते रहेंगे,<br />
उठे कदम सदां बढ़ते रहेंगे,,<br />
<br />
भूख, प्यास सह लेंगे तन पर,<br />
दुश्मन के सामने अड़ते रहेंगे,,.....<br />
<br />
वीर हमारे गौरवशाली,<br />
जिनके बल से छाई खुशहाली,,<br />
<br />
सीमा पर लहराए तिरंगा,<br />
गूंजे जय हिंद ध्वनि निराली,,......<br />
<br />
ये देश बटा ना बटने दूंगा,<br />
निरर्थक सिर ना कटने दूंगा,,<br />
<br />
सभी भारतीयों का एक ही सपना,<br />
मैं देश नहीं झुकने दूंगा,,......<br />
<br />
खून पसीने की कमाई,<br />
व्यर्थ नहीं जाने पाये,,<br />
<br />
अपने देश का पैसा केवल,<br />
अपने ही देश में काम आये,,....<br />
<br />
पराधीनता त्यागो भाई,<br />
आत्म निर्भरता लो अपनायी,,<br />
<br />
सुनील कुमार की चली कलम को,<br />
कभी नहीं रुकने दूंगा,,<br />
<br />
मैं देश नहीं झुकने दूंगा,<br />
मैं देश नहीं रुकने दूंगा,,......<br />
<br />
🙏सादर अर्पित।🙏<br />
सुनील कुमार</div>
हिंदी सृजनhttp://www.blogger.com/profile/01728992778013160905noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7671911886056613666.post-12460276419342446322020-06-30T12:26:00.002+05:302022-11-04T09:39:51.422+05:30<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<b><span style="color: blue;"><u>चीन की करनी, वैसी भरनी।</u></span></b><br />
<b><span style="color: blue;"><u><br /></u></span></b>
<br />
<b>चीन होई वेदीन, समय आएगा,</b><br />
<b>जब बढ़े भारतीय कदम न हट पायेगा,,</b><br />
<b><br /></b><b> ना झुके, रुके ना ज्वान कभी भी रण में,</b><br />
<b> जब लिए तिरंगा हाथ वीर धायेगा।.........</b><br />
<b><br /></b>
<b>मान मर्यादा, धर्म जान से प्यारा,</b><br />
<b>हम हैं हिन्द के वीर, हिन्दोस्तां हमारा,,</b><br />
<b><br /></b><b> जर, जोरू और जमीन विश्व से न्यारा,</b><br />
<b> करें शीश का कलम जो नेत्र निहारा।...........</b><br />
<b><br /></b>
<b>ना होई बात से काम तो लात चलावै,</b><br />
<b>ना छोड़ें अपना हक मरें या आवें,,</b><br />
<b><br /></b><b> कश्मीर को पाक ने समझा अपना,</b><br />
<b> इक झपट में कश्मीर छीन लिया,,</b><br />
<b><br /></b>
<b>चीन फिर किस गिनती में है,</b><br />
<b>अच्छे, अच्छों को वेदीन किया।........</b><br />
<b><br /></b><b> हथियार उठाते हैं कायर,</b><br />
<b> हम प्यार से मार गिराते हैं,,</b><br />
<b><br /></b>
<b>कुत्तों का काम भोंकने का,</b><br />
<b>हम बिन भोंके दिखलाते है,,</b><br />
<b><br /></b><b> जो हिय बसै चीन तेरे,</b><br />
<b> हम तेरी बात ही मानेंगे,,</b><br />
<b><br /></b>
<b>जब छल कपटी राग को देखेंगे,</b><br />
<b>ना मानेंगे, ना जानेंगे, फिर अपनी अपनी तानेंगे।..........</b><br />
<b><br /></b><b> उन्नीसौ बासठ भूल जाओ,</b><br />
<b> ये अहं ना दिल में लाना तुम,,</b><br />
<b><br /></b><b>अब समय बदल रहा तेजी से,</b><br />
<b>मत रावण से बन जाना तुम,,</b><br />
<b><br /></b><b> ये कविता चीन का मुक्ति द्वार,</b><br />
<b> जैसा भी कदम बढ़ाएगा,,</b><br />
<b><br /></b>
<b>सुनील कुमार कथि समझाते,</b><br />
<b>जो बोयेगा वही पायेगा।..........</b><br />
<br />
<b><span style="color: blue;">🙏🙏सादर अर्पित।🙏🙏</span></b><br />
<b><span style="color: blue;">सुनील कुमार</span></b></div>
हिंदी सृजनhttp://www.blogger.com/profile/01728992778013160905noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7671911886056613666.post-84292132459622382362020-03-28T09:22:00.004+05:302022-11-04T09:41:07.714+05:30कोरोना (गजल)<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<b>कोरोना</b><br />
<b><br /></b>
<b>न डरा है, डरेगा न भारत कभी,</b><br />
<b>कोरोना कुछ हमारा नहीं कर सके,,</b><br />
<b>सेनेटाइजर की तोपें लिए हाथ में,</b><br />
<b>मुँह पे मास्क निहारे, खुद ही मर सके,,</b><br />
<b>न डरा है, डरेगा न भारत कभी.....</b><br />
<b><br /></b>
<b>वाइरस आया है अपनी कमियां हैं कई,</b><br />
<b>भूल ऐसी जीवन में न करना कोई,,</b><br />
<b>करें संकल्प स्वच्छता का जीवन में हम,</b><br />
<b>इतनी ताकत नहीं कि कोरोना मार सकें,,</b><br />
<b>न डरा है, डरेगा न भारत कभी......</b><br />
<b><br /></b>
<b>आओ अतिथि का स्वागत, हम हाथ जोड़ करें,</b><br />
<b>अपनी रक्षा का प्रतीक खुद हम बने,,</b><br />
<b>आलस मानव का दुश्मन सदां से रहा,</b><br />
<b>ऐसी गलती कभी ना दुःख हर सके,,</b><br />
<b>न डरा है, डरेगा न भारत कभी.....</b><br />
<b><br /></b>
<b>ऐसी हालत में, ना घबराओ कभी,</b><br />
<b>खुद बचो औरों को बचाओ सभी,,</b><br />
<b>केवल स्वच्छता ही तुम्हारी सुरक्षा करे,</b><br />
<b>डरपोक वाइरस तुम्हारा न कुछ कर सके,,</b><br />
<b>न डरा है, डरेगा न भारत कभी.....</b><br />
<b><br /></b>
<b>अरज करता हूं अपने सभी भाइयों से,</b><br />
<b>बच्चे, बुजुर्ग, बहना अरु ताइयों से,,</b><br />
<b>ऐसी मेहनत नहीं जो कर न सके,</b><br />
<b>सुनील कुमार की गजल रंग भर ना सके,,</b><br />
<b>न डरा है, डरेगा न भारत कभी,</b><br />
<b>कोरोना कुछ हमारा नहीं कर सके,,.......</b><br />
<b><br /></b>
<b>सादर अर्पित।</b><br />
<b><br /></b>
<b><br /></b>
<b><br /></b>
<b><br /></b></div>
हिंदी सृजनhttp://www.blogger.com/profile/01728992778013160905noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7671911886056613666.post-88123884198578595312020-01-17T09:15:00.002+05:302022-11-04T09:42:28.644+05:30प्यार<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
(प्यार)<br />
<br />
दो शत्रू जब गले मिलते,<br />
प्यार की गुप्त निशानी,,<br />
<br />
लैला मजनूं प्यार की खातिर,<br />
लिखदी अजब कहानी,,......<br />
<br />
प्यार किया था सृष्टि करता ने,<br />
सृष्टि में अंश समाया था,,<br />
<br />
प्यार किया था सबरी जी ने,<br />
प्रभु राम को विवश बनाया था,,.......<br />
<br />
प्यार की खातिर राधा-मीरा,<br />
कृष्ण को हृदय बसाया था,,<br />
<br />
प्यार किया था हीर-रांझे ने,<br />
मौत को गले लगाया था,,..........<br />
<br />
प्यार का रिश्ता मांत-पिता,<br />
भाई बहनों का सार रहा,,<br />
<br />
प्यार के रिश्ते जीजा, साले,<br />
पति-पत्नी का आधार रहा,,.....<br />
<br />
भक्ति पूजा प्यार रूप है,<br />
भवनिधि नइया प्यार है,,<br />
<br />
प्यार की शक्ति से ऋषि-मुनि,<br />
होते भवनिधि पार हैं,,..........<br />
<br />
तेरे स्वर में रहे प्यार,<br />
मेरे स्वर में रहे प्यार,,<br />
<br />
रहे जन-जन में प्यार,<br />
यही सुनील कुमार की सार,,.........</div>
हिंदी सृजनhttp://www.blogger.com/profile/01728992778013160905noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7671911886056613666.post-23439590567193861682020-01-07T22:43:00.001+05:302022-11-04T09:42:55.973+05:30निर्भया <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
(निर्भया)<br />
<br />
गिरगिट निवास सूखी डाली,<br />
कुदरत की कृपा भई हरियाली,,<br />
<br />
कोमलता पातों ने पाई,<br />
फल, फूल छटा अति दिखलाई,,<br />
<br />
खुशियों में मस्त डाली डाली,<br />
कुदरत की कृपा भई हरियाली,,.......<br />
<br />
सुंदर, सुखद सवेरा आया,<br />
प्रेम भाव परिवार सिखाया,,<br />
<br />
विपरीत समय जब आ जाता है,<br />
ज्ञान, ध्यान सब मिट जाता है,,<br />
<br />
नृत्यति कुदिशा सिर मतवाली,<br />
कुदरत की कृपा भई हरियाली,,.......<br />
<br />
मद जोवन ने रंग दिखाया,<br />
खींच काल चारों को लाया,,<br />
<br />
घर से निर्भया पढ़ने को चाली,<br />
अति सुशील अरु भोली - भाली,,<br />
<br />
चारों मवाली पीछे धाये,<br />
पकड़ी निर्भया द्वन्द मचाये,,<br />
<br />
कुकरम करि, जान ले डाली,<br />
कुदरत की कृपा भई हरियाली,,<br />
<br />
मात-पिता संकट के मारे,<br />
रो-रोकर जीवन धिक्कारे,,<br />
<br />
थाना, कोर्ट के चक्कर मारे,<br />
तारीख पे तारीख निहारे,,<br />
<br />
जगह-जगह जा गुहार लगाई,<br />
अब तक न्याय मिला नहीं भाई,,.......<br />
<br />
सात साल बीते एहिं भाँती,<br />
चिन्ता बनी दिनां अरु राती,,<br />
<br />
चाहें कितनी बनजा हांसी,<br />
दुष्टों को लगवानी फांसी,,<br />
<br />
अदालत ने अब न्याय सुनाया,<br />
सबको फांसी हुकम सुनाया,,........<br />
<br />
22 जनवरी सात बजे,<br />
तिहाड़ में फांसी सेज सजे,,<br />
<br />
जब फांसी दिन आयेगा,<br />
निर्भया दिवस कहलायेगा,,<br />
<br />
गलती पै गलती मत करना,<br />
फांसी की मौत सभी को मरना,,<br />
<br />
जितनी सुनी उतनी कथिडाली,<br />
सुनील कुमार की कविता निराली,,<br />
<br />
कुदरत कृपा भई हरियाली,<br />
सूख गई फिर डाली-डाली,,.......<br />
<br />
<br />
<br />
<br /></div>
हिंदी सृजनhttp://www.blogger.com/profile/01728992778013160905noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-7671911886056613666.post-71036024472792054112020-01-04T20:09:00.001+05:302022-11-04T09:43:30.410+05:30चप्पल अवॉर्ड<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
(चप्पल अवॉर्ड)<br />
हर कोई नहीं ले सकता है,<br />
किस्मत वाला पायेगा,,<br />
<br />
दिल मे छुपी उमंगे होंगी,<br />
लाज, शर्म विसरायगा,,<br />
<br />
मान, धरम ईमान ना होगा,<br />
जिसका ऐसा बना रेकॉर्ड,,<br />
<br />
बिन सोचे माँ, बहनों को छेड़े,<br />
उनको मिलता चप्पल अवार्ड,,.......<br />
<br />
इसके अलावा और बहुत कुछ,<br />
हरिहार उतर जा क्षण भर में,,<br />
<br />
होता स्वागत घूंसा, लात से,<br />
जेल पहुंच जाए पल भर में,,<br />
<br />
घर बाहर इज्जत होती थी,<br />
फिर बातें करते मुंह सिकोड़,<br />
<br />
चरित्रहीन प्रचार फैल जा,<br />
सभी कहें लड़का है फ़्रॉड,,<br />
<br />
इस कविता को पढ़कर इंसान बन जाओ,<br />
भूल कर इस मार्ग में कदम ना बढ़ाओ,,<br />
<br />
इस अवॉर्ड से मरना बेहतर,<br />
स्वर्ग में यमराज का कोर्ट,,<br />
<br />
महा मूर्ख समझ ना पाए,<br />
वोही ही ले चप्पल अवॉर्ड,,...........<br />
<br />
सुनील कुमार कविता में लिखते,<br />
जिसका नंबर, नाही कोड,,<br />
<br />
खुल्ला मार्ग चारो ओर से,<br />
ले जाओ चप्पल अवॉर्ड,,<br />
<br />
बिन सोचे माँ, बहनों को छेड़े,<br />
उनको मिलता चप्पल अवॉर्ड,,.......<br />
<br />
<br /></div>
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<b>(सर्दी की महिमा)</b><br />
<b><br /></b>
<b>सर्दी नानी, सर्दी नानी,</b><br />
<b>इतनी गुस्सा क्यों मनमानी,,</b><br />
<b>कभी मनमोहक बन जाती हो,</b><br />
<b>कभी शीत लहर से हानि,,</b><br />
<b>कितने आग जलाये बैठे,</b><br />
<b>कितने निर्धन ठंड ने ऐंठे,,</b><br />
<b>कैसी तुम्हारी अजब कहानी,</b><br />
<b>सर्दी नानी, सर्दी नानी,,</b><br />
<b>कृपा करो हम पे महारानी।........</b><br />
<b>जर्सी, पेंट, कोट भये फेल,</b><br />
<b>सर्दी नानी बना रही रेल,,</b><br />
<b>एक रजाई से काम चलैना,</b><br />
<b>गरम ऐ.सी. हीटर भी फेल,,</b><br />
<b>बिजली बिल की नहीं गिलानी,</b><br />
<b>सर्दी नानी, सर्दी नानी,,</b><br />
<b>कृपा करो हम पे महारानी।.........</b><br />
<b>चारों और सफेदी छाई,</b><br />
<b>हिम् गिर वृक्ष न भूमि लखाई,,</b><br />
<b>सैलानी घूमन को आयें,</b><br />
<b>बर्फ देख आनंद अति छाये,,</b><br />
<b>कोई कम्बल, चादर ओढ़े,</b><br />
<b>गरम रजाई कोई न छोड़े,,</b><br />
<b>सुनील कुमार महिमा तिनि जानी,</b><br />
<b>सर्दी नानी, सर्दी नानी,,</b><br />
<b>कृपा करो हम पे महारानी।.......</b><br />
<b><br /></b></div>
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<b><span style="color: blue;">व्यर्थ के झमेले तेरे, जीवन में न साथ देत,,</span></b><br />
<b><span style="color: blue;">व्रत और प्रवचन तेरे, साथ ना निभाएंगे,,</span></b><br />
<b><span style="color: blue;">कितनेऊ जादू, टोना, करले पाखंड सब,,</span></b><br />
<b><span style="color: blue;">जग के दिखावा, सारे हास बन जाएंगे,,</span></b><br />
<b><span style="color: blue;">मन की कसौटी तेरे, तन से भी कार्यशील,,</span></b><br />
<b><span style="color: blue;">बुद्धि के विवेक से, सब काम बन जाएंगे,,</span></b><br />
<b><span style="color: blue;">मेंहनत ही है जीवनदायी, बिन मेंहनत के ना हासिल कुछ,,</span></b><br />
<b><span style="color: blue;">मेंहनत करोगे तो , सूखे वृक्ष फल जाएंगे।...........</span></b><br />
<b><span style="color: blue;">तन और मन को, नौकर बनाना सीखो,,</span></b><br />
<b><span style="color: blue;">भरे हो विकार , अपने आप मिट जाएंगे,,</span></b><br />
<b><span style="color: blue;">आलस और लालच, मानवता के महान शत्रू ,,</span></b><br />
<b><span style="color: blue;">डालोगे इन्हें जेल, सब द्वार खुल जाएंगे ,,</span></b><br />
<b><span style="color: blue;">तन की दुशाला गंदी, जग की हवाओं से ,,</span></b><br />
<b><span style="color: blue;">मन के ही साबुन से, सब दाग धुल जाएंगे ।...........</span></b><br />
<b><span style="color: blue;">ना ही चाहिए गंगा जल, ना ही चाहिए मखमली वस्त्र ,,</span></b><br />
<b><span style="color: blue;">ना ही मांग छत्तीस भोग, इनको ढोंग बतलायेंगे ,,</span></b><br />
<b><span style="color: blue;">नहीं स्वर, संगीत कामना, व्यर्थ के फिजूल खर्च ,,</span></b><br />
<b><span style="color: blue;">मेंहनत के सुरीले स्वर, प्रभु से मिलाएंगे ,,</span></b><br />
<b><span style="color: blue;">व्यर्था ना समय बिताओ, करते रहो कुछ काम ,,</span></b><br />
<b><span style="color: blue;">मानव की काया में, ऐसे मौके नहीं आएंगे ,,</span></b><br />
<b><span style="color: blue;">ज्ञान, मान ये मानवता के मुख्य लक्ष्य ,,</span></b><br />
<b><span style="color: blue;">पढ़ो और सोचो, फिर सुनील कुमार समझायेंगे ।............</span></b><br />
<b><span style="color: blue;"><br /></span></b>
<b><span style="color: blue;"><br /></span></b>
</div>
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<span style="color: blue;"><b>धर्मार्थ काम तजि, अधर्मी राह पकड़े,</b></span><br />
<span style="color: blue;"><b>ऐसो गुरु ज्ञान तैने, कहाँ से पायो है।</b></span><br />
<span style="color: blue;"><b>भाई के ही संकट में भाई ही एक साथ करै,</b></span><br />
<span style="color: blue;"><b>पल में त्याग दुश्मनी, लट्ठ लैके आयो है।।</b></span><br />
<span style="color: blue;"><b>ऐसो कैसो गुरु तेरो, लाभ हानि जानी नहीं,</b></span><br />
<span style="color: blue;"><b>बिना गुरु मंत्र के जो रण में पठायो है।</b></span><br />
<span style="color: blue;"><b>अच्छे अच्छे काम कूं, फुरसत ना तोकू मिलै,</b></span><br />
<span style="color: blue;"><b>तेरौ अच्छो काम, आतंकवाद ही सुहायो है।</b></span><br />
<span style="color: blue;"><b>निर्दोषी सताये सब, मौत के घाट उतार रहयो,</b></span><br />
<span style="color: blue;"><b>बिना सोचे- समझे, सोते शेर कूं जगायो है।</b></span><br />
<span style="color: blue;"><b>शेर की दहाड़ पल भर में विनाश करै,</b></span><br />
<span style="color: blue;"><b>परमाणु की धमकी देता, तूने खौफ नहीं खायो है।</b></span><br />
<span style="color: blue;"><b>भरना था जो घट आतंक कौ वो भर चुकयो,</b></span><br />
<span style="color: blue;"><b>इमरान तेरौ काल अब तेरे शीस पर छायौ है।</b></span><br />
<span style="color: blue;"><b>गीदड़ की ये धमकी, हम युगों से ही सुनते आए,</b></span><br />
<span style="color: blue;"><b>हमने अपनी महानता कूं श्रेष्ठ ही बनायौ है।</b></span><br />
<span style="color: blue;"><b>तेरी बात, और औकात सारे जगत ने परखि लई,</b></span><br />
<span style="color: blue;"><b>करि अपमान तोकूँ उलटो ही भगायौ है।</b></span><br />
<span style="color: blue;"><b>लखि ले निज मानवपन कूं, ज्ञान पाके ज्ञानी बन,</b></span><br />
<span style="color: blue;"><b>ऐसो युग कलियुग, जीवन मै ना आयौ है।</b></span><br />
<span style="color: blue;"><b>अग्नि पै चलनों छोड़, अच्छे अच्छे कर्म करि,</b></span><br />
<span style="color: blue;"><b>तेरी तौ चलत क्या है, ना रावण टिक पायौ है।</b></span><br />
<span style="color: blue;"><b>पहले वार करते नहीं, दूजै पे हम छोड़ें नहीं,</b></span><br />
<span style="color: blue;"><b>तीजै पे हो सर्वनाश, सुनील कुमार कथि गायौ है।</b></span><br />
<br /></div>
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<span style="color: red;"><b> <u> नेता एक राजा होता है </u></b></span><br />
<br />
<b><span style="color: blue;">राज राज की बात नहीं, नेता रणनीति चलते है,</span></b><br />
<b><span style="color: blue;"> कभी मंदिर, मस्जिद पहलू ले , कभी धर्म की आड़ पकड़ते है,,</span></b><br />
<b><span style="color: blue;">जिस कारण नेता बने हुए, वो काम ध्यान में नहीं आता ,</span></b><br />
<b><span style="color: blue;"> बेरोजगारी मेह्गाई को आकाश भी नीचा पड़ जाता,,</span></b><br />
<b><span style="color: blue;">जिसको आरक्षण देना था, वो तो भुखमरी से मरते है,,</span></b><br />
<b><span style="color: blue;"> कभी मंदिर मस्जिद पहलू ले , आपस में रोज झगड़ते है ..... (१)</span></b><br />
<b><span style="color: blue;">सीमा पर जान गवाने को , माँ, बाप व घर का त्याग किया ,,</span></b><br />
<b><span style="color: blue;"> हस्ते हस्ते वो शहीद हुए, उनके परिवारों को क्या दिया,,</span></b><br />
<b><span style="color: blue;">आमंदनी कर दूना करके , नेता अपना घर भरते है ,,</span></b><br />
<b><span style="color: blue;"> मेहनत कस खाना खा न सके , नेता होटल में चरते है ,,</span></b><br />
<b><span style="color: blue;">गरीब को न अच्छी शिक्षा न रोजगार कुछ मिलते है ,</span></b><br />
<b><span style="color: blue;"> कभी मंदिर मस्जिद पहलु ले , आपस में रोज झगड़ते है ....... (२)</span></b><br />
<b><span style="color: blue;">कहीं अत्याचार , कहीं भ्रस्टाचार , कहीं गुंडागर्दी की खबर सुनें,</span></b><br />
<b><span style="color: blue;"> कितनी भोली - भाली ये जनता जो ऐसे नेता को ही चुने , </span></b><br />
<b><span style="color: blue;">किसी ने तीर्थ भ्रमड़ करके , अपने ही जीवन सफल किया ,,</span></b><br />
<b><span style="color: blue;"> अच्छे दिन आने वाले थे क्या वो दिन आपने देख लिया ,,</span></b><br />
<b><span style="color: blue;">मधुर भासिनी नेता सब , जनता के दिल को जकड़ते है ,,</span></b><br />
<b><span style="color: blue;"> कभी मंदिर , मस्जिद पहलू ले , आपस में रोज झगड़ते है ....... (३ )</span></b><br />
<b><span style="color: blue;">जातिवाद के इस कलंक को नेता चाहे तो हर सकते , </span></b><br />
<b><span style="color: blue;"> सब एक समान होकर के चलै, और अपनी राह पकड़ सकते ,,</span></b><br />
<b><span style="color: blue;">जब तक मत- भेद न दूर होएं , तब तक न देश सुधर पाए , </span></b><br />
<b><span style="color: blue;"> धर्मानुसार सब काम करें , तरक्की का मार्ग बन जाये ,,</span></b><br />
<b><span style="color: blue;">व्यर्थ का खर्चा बंद करो , क्यों अंधकार में भटकते है ,,</span></b><br />
<b><span style="color: blue;"> कभी मंदिर , मस्जिद पहलू ले , आपस में रोज झगड़ते है ........(४)</span></b><br />
<b><span style="color: blue;">जो होना है वो टला नहीं , अपनी मेहनत को पकड़ो तुम ,,</span></b><br />
<b><span style="color: blue;"> ईश्वर तो कण कण वाशी है , क्यों मंदिर मस्जिद भटको तुम ,,</span></b><br />
<b><span style="color: blue;">सत्य वचन और सत्य करम , इस जग के मुक्ति दाता हैं ,,</span></b><br />
<b><span style="color: blue;"> रोटी कपडा और मकान राजा का लक्ष्य कहाता है ,,</span></b><br />
<b><span style="color: blue;">नेता राजश्वी होता है , सुनील के काव्य भड़कते है ,,</span></b><br />
<b><span style="color: blue;"> कभी मंदिर मस्जिद पहलू ले , आपस में रोज झगड़ते है .........(५)</span></b><br />
<div>
<br /></div>
</div>
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<u><b><span style="color: lime;">आज का कैसा इंसान</span></b></u><br />
<span style="color: blue;"> चल रहा जन आंखें मूंदे,</span><br />
<span style="color: blue;"><br /></span>
<span style="color: blue;">भटकन की अंदाज नहीं,,</span><br />
<span style="color: blue;">दर दर ठोकर खाता फिरता, फिर भी आता बाज नहीं,</span><br />
<span style="color: blue;">कहां छुपाया इसमें ज्ञान , आज का कैसा है इंसान......</span><br />
<span style="color: blue;">पास में सृष्टि का इतिहास, दिन प्रतिदिन हो रहा निराश,,</span><br />
<span style="color: blue;">अंदर गंध बाहरी प्रकाश, देवी देवता सब होय हताश,,</span><br />
<span style="color: blue;">लालच में खो बैठा शान, आज का कैसा है इंसान.........</span><br />
<span style="color: blue;">बल बुद्धि को क्यों ठुकरा वेै, अंध में व्यर्थ था ठोकर खावेै,,</span><br />
<span style="color: blue;"> तीर्थ गवन तेरे काम ना आवेै, दिल अंदर क्यों ना लखि पावेै,,</span><br />
<span style="color: blue;">जिससे हो तेरी पहचान, आज का कैसा है इंसान...........</span><br />
<span style="color: blue;">कर्म धर्म मानव की शान, जिस से होता जन कल्याण,,</span><br />
<span style="color: blue;">तेरे संग तेरा भगवान, फिर क्यों झूठी भरेै उड़ान,,</span><br />
<span style="color: blue;">जानबूझकर करता नुकसान, आज का कैसा है इंसान..........</span><br />
<span style="color: blue;">छोड़ जगत के झूठे धंधे, क्यों हो जग माया में अंधे,,</span><br />
<span style="color: blue;">खुद बढ़े औरन को बढ़ने दे, समझाते हर समय पर बंदे,,</span><br />
<span style="color: blue;">सुनील कुमार की कथन पहचान, आज का कैसा है इंसान........</span><br />
<br /></div>
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<b><span style="color: blue;"><br /></span></b>
<b><span style="color: blue;"><br /></span></b>
<b><span style="color: blue;"><br /></span></b>
<b><span style="color: blue;"><br /></span></b>
<b><span style="color: blue;">मित्रो नमस्कार, </span></b><br />
<b><span style="color: blue;"><br /></span></b>
<b><span style="color: blue;"> आज मै अपना परिचय एक ब्लॉगर के रूप में आपको दे रहा हूँ। मेरे ब्लॉग "हिंदी सृजन" पर आपको गद्य एवं पद्य विधा की विभिन्न रचनाएँ पढ़ने को मिलेंगीं। में अक्सर कवितायेँ क्षड़िकाएँ लेख आदि लिखता हूँ। आशा करता हूँ, आपका सहयोग स्नेह एवं आशीर्वाद मिलता रहेगा।</span></b><br />
<br />
<b><span style="color: blue;">सुनील कुमार विद्यासागर </span></b><br />
<br /></div>
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