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रविवार, 3 जून 2018

आज का कैसा है इंसान

आज का कैसा इंसान
 चल रहा जन आंखें मूंदे,

भटकन की अंदाज नहीं,,
दर दर ठोकर खाता फिरता, फिर भी आता बाज नहीं,
कहां छुपाया इसमें ज्ञान , आज का कैसा है इंसान......
पास में सृष्टि का इतिहास, दिन प्रतिदिन हो रहा निराश,,
अंदर गंध बाहरी प्रकाश, देवी देवता सब होय हताश,,
लालच में खो बैठा  शान, आज का कैसा है इंसान.........
बल बुद्धि को क्यों ठुकरा वेै, अंध में व्यर्थ था ठोकर खावेै,,
 तीर्थ गवन तेरे काम ना आवेै, दिल अंदर क्यों ना लखि पावेै,,
जिससे हो तेरी पहचान, आज का कैसा है इंसान...........
कर्म धर्म मानव की शान, जिस से होता जन कल्याण,,
तेरे संग तेरा भगवान, फिर क्यों झूठी भरेै उड़ान,,
जानबूझकर करता नुकसान, आज का कैसा है इंसान..........
छोड़ जगत के झूठे धंधे, क्यों हो जग माया में अंधे,,
खुद बढ़े औरन को बढ़ने दे, समझाते हर समय पर बंदे,,
सुनील कुमार की कथन पहचान, आज का कैसा है इंसान........