Featured Post

श्री राम के जैसा

 श्री राम के जैसा बनो राम के जैसा,  यदि ईश्वर को पाना है,, श्री राम के हम सब हैं,  उन्हें दिल में बसाना है,, दुनिया के पाखंडों में,  श्री रा...

रविवार, 12 जुलाई 2020

बुराई का प्रतीक विकाश दुबे

कंटीली झाड़ियों से बचना ही बेहतर है,
त्याग दो ऐसी राहों को जहाँ चलना भी मुश्किल है,,
मजा पाने के लिये सजा अनिवार्य है प्यारे,
मौत जब आ ही गयी द्वारे समय टालना भी मुश्किल है।........

कर्म करने से पहले जरा सोचो और समझो,
कहीं गलती ना हो जाये, कार्य को टालना चहिये,,
बिना सोचे ही लालचवश कदम को रोकना वाजिब,
कदम रखते डगमगा जाये, अपने को सम्हलना चहिये।.........

ये पेटा ना भरा ना भर रहा, ना कभी भरते देखा है,
समझ यदि अपने अंदर हो, कभी ना कर्म से बिचले,,
रुलाकर क्यों हंसते हो महफ़िल में, वो ऊपर वाला देख रहा,
क्यों दौलत पे मरते हो ना दौलत साथी बनी पगले।..........

नांस क्यों कर रहे अपना जरा बच्चों की तरफ देखो,
ये दुनियाँ बहुत ही जालिम तुझे जड़ से मिटा देगी,,
ये नाजुक तन और मन तेरा क्यों इसको व्यर्था दुःख देते,
पाप की एक ही चिंगारी तुझे पल में जला देगी।..........

विश्व के झूठे रिस्ते-नाते सभी मतलव के साथी है,
विपति में देख छुप जाते कोई भी साथ नहीं देता,,
यदि छोड़ दे मोह माया को ईश्वर पर भार छोड़ अपना,
वही सच्चा एक सेवक है, भंवर में डूबने ना देता।........

ये गाथा विकाश दुबे पर है, जिसने ना सोचा और नहीं समझा,
ढह गये महल काँटों के आप सुख की निंदिया सोये,,
धर्म के कार्य किये होते दुर्दशा ना होती इनकी,
बुराई रह गई जग में, सुनील कविता में व्यंग बोये।.........

सादर अर्पित।
सुनील कुमार





शुक्रवार, 10 जुलाई 2020

कुछ पंक्तियाँ निवेदित कर रहा हूँ, आशा है कि आप सभी का स्नेह व आशीर्वाद मिलेगा।

                साँड़

पैदा हो गया साँड़, निरंकुश घूमे वन में,
करै मनमानी काम ना चिंता उसके मन में,,

माँ-बाप और परिवारी जनों ने अच्छा समझा,
किये सदां ही कार्य सफलता धन- दौलत में,,......

करि माया अभिमान नसे में मस्त वो रहता,
बना बड़ा बदमाश कि कोई कुछ नहीं कहता,,

दस बीघा में आवास, कोठियां बनाई न्यारी,
भय का बना दवाब, समाज सब दुःख सहता,,....

कितने हत्याकांड कोई कुछ ना कर पाया,
भरा पाप का घड़ा, अंत तेजी से आया,,

सभी दलों ने उसको अब तक सीस झुकाया,
हुआ भाजपा राज उसको वहुबिधि समझाया,,....

अंत समय जब आयेगा, बुद्धि फिर जाती है,
कितने दो उपदेश समझ ना कुछ आती है,,

बढ़े पाप का वजन कि पृथ्वी घबराती है,
पापी का अंत करने में ना फिर सकुचाती है,,.........

गिरफ्तारी वारेंट दिया पहले भिजवाई,
जंगली साँड़ को पकड़ने पुलिस उसके घर आई,,

नहीं माना फिर भी साँड़ आतंकी हाथ दिखाया,
आठ पुलिस वालों को पल में मार गिराया,,.......

योगी ने की छापे मारी, उसका महल गिराया,
भाग गया वो साँड़ पुलिस के हाथ ना आया,,

करि के छापेमारी साँड़ के सहकर्मी मारे,
महाकाल के उज्जैन में साँड़ फंस गये विचारे,,.......

किया तुरंत गिरफ्तार साँड़ को मार गिराया,
एनकाउंटर का नाम पुलिस ने खुद दर्शाया,,

नेताओं में सियासत होने लगी भारी,
कहां पलटी कार सवाल पै सवाल निकारी,,......

क्या धन-दौलत साथ ले गया, क्या सुखी परिवार रहा,
रह गई बुराई पृथ्वी पर, बिना मौत मारा गया,,

हाथ जोड़ कर करूँ विनती, मतना ऐसा काम करो,
इंसानियत रूपी कर्म करो,
सुनील की कविता का नाम करो,,.....

जय हिंद।

🙏🙏सादर अर्पित🙏🙏
सुनील कुमार

मंगलवार, 7 जुलाई 2020

पक्षी का रहस्य

आज में पक्षी के रहस्यमई रूप का वर्णन करने की कोसिस कर रहा हूँ, आशा करता हूं, आपका स्नेह, आशीर्वाद अर्जित कर सकूं।

         पक्षी का रहस्य

विचित्र रहस्य पक्षी मन बसि हैं,
धूप, छांव, भूख, प्यास सब तजि हैं,,

मेहनत कस तन, मन हि बनावहिं,
लक्ष्य निरखि मानव हिय लजि हैं,,

ताकी लगन अनौखी शान,
श्रेष्ठ बुलंदी लखि असमान,,.....

श्याम, गौर का भेद न ताके,
विकल, विफल नहिं उर बसि जाके,,

भक्ति, भावना श्रेष्ठ सुहाइहिं,
नित्य नेम गुड़गान भगवां के,,

ना छल-कपटी राग अरु तान,
श्रेष्ठ बुलन्दी लखि असमान,,.....

दिवस जाइ और रैन बितावै,
खा फल फुलहिं मौज उड़ावै,,

भोर होइहि मानव को जगाते,
अपने स्वर में सब बतलाते,,

इत-उत भरते मधुर उड़ान,
श्रेष्ठ बुलन्दी लखि असमान,,......

चारों दिश कौलाहल सोहे,
ताकी ध्वनि अंतर्मन मोहे,,

कोई राग सुरीला गावै,
कोई कांव, कांव चिल्लावै,,

पीहुँ, पीहुँ कर गाइ पपैया,
चातक, मोर सुंदर कोयलियाँ,,

इनकी महिमा अति महान,
श्रेष्ठ बुलन्दी लखि असमान,,.....

दादुर टर्र, टर्र करि गावै,
लाखों भाषा में स्वर पावै,,

मन मोहक है अजब कहानी,
आलस त्याग बने बरदानी,,

सुनील कुमार कथि सार ही शान,
श्रेष्ठ बुलन्दी अति स्वर्ग की खान,,...

🙏🙏सादर अर्पित।🙏🙏
सुनील कुमार

रविवार, 5 जुलाई 2020

गुरु पूर्णिमा

गुरु पूर्णिमा नहीं सिखाता,
अंधकार में ठोकर खाना,,
शास्त्रों में विख्यात गुरु को,
ज्ञान का दीप जलाना,,

कुछ अज्ञानी तत्व, गुरु को समझ ना पाये,
रचे बहुत पाखंड, धाम लाखों बनवाये,,

इक ईश्वर को आज हजारों में बांटा जाता,
करें मतलवी प्यार, विश्व मे झूठा नाता,,

दीन, हीन, भुखमरी से  जनता आज मर रही,
मंदिरों में अरबों का दान, बोरियाँ रोज भर रहीं,,

करै दिखावा गुरु, शिष्य का समझ ना आता,
गुरु पूर्णिमा का पर्व अंधी भटकान मिटाता,,

मत करो शास्त्र बदनाम, गुरु को ना दाग लगाओ,
सुनील कुमार का कथन सभी अंधकार मिटाओ,,.......

🙏🙏सादर अर्पित।🙏🙏

सुनील कुमार।

शुक्रवार, 3 जुलाई 2020

🙏में देश नहीं झुकने दूंगा🙏

मैं देश नहीं झुकने दूंगा,
मैं देश नहीं रुकने दूंगा,,

संकट पे महा संकट आये,
मैं बढ़े कदम ना हटने दूंगा,,......

हम लड़ते रहे हैं, लड़ते रहेंगे,
उठे कदम सदां बढ़ते रहेंगे,,

भूख, प्यास सह लेंगे तन पर,
दुश्मन के सामने अड़ते रहेंगे,,.....

वीर हमारे गौरवशाली,
जिनके बल से छाई खुशहाली,,

सीमा पर लहराए तिरंगा,
गूंजे जय हिंद ध्वनि निराली,,......

ये देश बटा ना बटने दूंगा,
निरर्थक सिर ना कटने दूंगा,,

सभी भारतीयों का एक ही सपना,
मैं देश नहीं झुकने दूंगा,,......

खून पसीने की कमाई,
व्यर्थ नहीं जाने पाये,,

अपने देश का पैसा केवल,
अपने ही देश में काम आये,,....

पराधीनता त्यागो भाई,
आत्म निर्भरता लो अपनायी,,

सुनील कुमार की चली कलम को,
कभी नहीं रुकने दूंगा,,

मैं देश नहीं झुकने दूंगा,
मैं देश नहीं रुकने दूंगा,,......

🙏सादर अर्पित।🙏
सुनील कुमार

मंगलवार, 30 जून 2020

चीन की करनी, वैसी भरनी।


चीन होई वेदीन, समय आएगा,
जब बढ़े भारतीय कदम न हट पायेगा,,

                         ना झुके, रुके ना ज्वान कभी भी रण में,
                          जब लिए तिरंगा हाथ वीर धायेगा।.........

मान मर्यादा, धर्म जान से प्यारा,
हम हैं हिन्द के वीर, हिन्दोस्तां हमारा,,

                            जर, जोरू और जमीन विश्व से न्यारा,
                            करें शीश का कलम जो नेत्र निहारा।...........

ना होई बात से काम तो लात चलावै,
ना छोड़ें अपना हक मरें या आवें,,

                               कश्मीर को पाक ने समझा अपना,
                               इक झपट में कश्मीर छीन लिया,,

चीन फिर किस गिनती में है,
अच्छे, अच्छों को वेदीन किया।........

                                       हथियार उठाते हैं कायर,
                                       हम प्यार से मार गिराते हैं,,

कुत्तों का काम भोंकने का,
हम बिन भोंके दिखलाते है,,

                                           जो हिय बसै चीन तेरे,
                                           हम तेरी बात ही मानेंगे,,

जब छल कपटी राग को देखेंगे,
ना मानेंगे, ना जानेंगे, फिर अपनी अपनी तानेंगे।..........

                                             उन्नीसौ बासठ भूल जाओ,
                                             ये अहं ना दिल में लाना तुम,,

अब समय बदल रहा तेजी से,
मत रावण से बन जाना तुम,,

                                         ये कविता चीन का मुक्ति द्वार,
                                            जैसा भी कदम बढ़ाएगा,,

सुनील कुमार कथि समझाते,
जो बोयेगा वही पायेगा।..........

🙏🙏सादर अर्पित।🙏🙏
सुनील कुमार

शनिवार, 28 मार्च 2020

कोरोना (गजल)

कोरोना

न डरा है, डरेगा न भारत कभी,
कोरोना कुछ हमारा नहीं कर सके,,
सेनेटाइजर की तोपें लिए हाथ में,
मुँह पे मास्क निहारे, खुद ही मर सके,,
न डरा है, डरेगा न भारत कभी.....

वाइरस आया है अपनी कमियां हैं कई,
भूल ऐसी जीवन में न करना कोई,,
करें संकल्प स्वच्छता का जीवन में हम,
इतनी ताकत नहीं कि कोरोना मार सकें,,
न डरा है, डरेगा न भारत कभी......

आओ अतिथि का स्वागत, हम हाथ जोड़ करें,
अपनी रक्षा का प्रतीक खुद हम बने,,
आलस मानव का दुश्मन सदां से रहा,
ऐसी गलती कभी ना दुःख हर सके,,
न डरा है, डरेगा न भारत कभी.....

ऐसी हालत में, ना घबराओ कभी,
खुद बचो औरों को बचाओ सभी,,
केवल स्वच्छता ही तुम्हारी सुरक्षा करे,
डरपोक वाइरस तुम्हारा न कुछ कर सके,,
न डरा है, डरेगा न भारत कभी.....

अरज करता हूं अपने सभी भाइयों से,
बच्चे, बुजुर्ग, बहना अरु ताइयों से,,
ऐसी मेहनत नहीं जो कर न सके,
सुनील कुमार की गजल रंग भर ना सके,,
न डरा है, डरेगा न भारत कभी,
कोरोना कुछ हमारा नहीं कर सके,,.......

सादर अर्पित।




शुक्रवार, 17 जनवरी 2020

प्यार

(प्यार)

दो शत्रू जब गले मिलते,
प्यार की गुप्त निशानी,,

लैला मजनूं प्यार की खातिर,
लिखदी अजब कहानी,,......

प्यार किया था सृष्टि करता ने,
सृष्टि में अंश समाया था,,

प्यार किया था सबरी जी ने,
प्रभु राम को विवश बनाया था,,.......

प्यार की खातिर राधा-मीरा,
कृष्ण को हृदय बसाया था,,

प्यार किया था हीर-रांझे ने,
मौत को गले लगाया था,,..........

प्यार का रिश्ता मांत-पिता,
भाई बहनों का सार रहा,,

प्यार के रिश्ते जीजा, साले,
पति-पत्नी का आधार रहा,,.....

भक्ति पूजा प्यार रूप है,
भवनिधि नइया प्यार है,,

प्यार की शक्ति से ऋषि-मुनि,
होते भवनिधि पार हैं,,..........

तेरे स्वर में रहे प्यार,
मेरे स्वर में रहे प्यार,,

रहे जन-जन में प्यार,
यही सुनील कुमार की सार,,.........

मंगलवार, 7 जनवरी 2020

निर्भया

           (निर्भया)

गिरगिट निवास सूखी डाली,
कुदरत की कृपा भई हरियाली,,

कोमलता पातों ने पाई,
फल, फूल छटा अति दिखलाई,,

खुशियों में मस्त डाली डाली,
कुदरत की कृपा भई हरियाली,,.......

सुंदर, सुखद सवेरा आया,
प्रेम भाव परिवार सिखाया,,

विपरीत समय जब आ जाता है,
ज्ञान, ध्यान सब मिट जाता है,,

नृत्यति कुदिशा सिर मतवाली,
कुदरत की कृपा भई हरियाली,,.......

मद जोवन ने रंग दिखाया,
खींच काल चारों को लाया,,

घर से निर्भया पढ़ने को चाली,
अति सुशील अरु भोली - भाली,,

चारों मवाली पीछे धाये,
पकड़ी निर्भया द्वन्द मचाये,,

कुकरम करि, जान ले डाली,
कुदरत की कृपा भई हरियाली,,

मात-पिता संकट के मारे,
रो-रोकर जीवन धिक्कारे,,

थाना, कोर्ट के चक्कर मारे,
तारीख पे तारीख निहारे,,

जगह-जगह जा गुहार लगाई,
अब तक न्याय मिला नहीं भाई,,.......

सात साल बीते एहिं भाँती,
चिन्ता बनी दिनां अरु राती,,

चाहें कितनी बनजा हांसी,
दुष्टों को लगवानी फांसी,,

अदालत ने अब न्याय सुनाया,
सबको फांसी हुकम सुनाया,,........

22 जनवरी सात बजे,
तिहाड़ में फांसी सेज सजे,,

जब फांसी दिन आयेगा,
निर्भया दिवस कहलायेगा,,

गलती पै गलती मत करना,
फांसी की मौत सभी को मरना,,

जितनी सुनी उतनी कथिडाली,
सुनील कुमार की कविता निराली,,

कुदरत कृपा भई हरियाली,
सूख गई फिर डाली-डाली,,.......




शनिवार, 4 जनवरी 2020

चप्पल अवॉर्ड

      (चप्पल अवॉर्ड)
हर कोई नहीं ले सकता है,
किस्मत वाला पायेगा,,

दिल मे छुपी उमंगे होंगी,
लाज, शर्म विसरायगा,,

मान, धरम ईमान ना होगा,
जिसका ऐसा बना रेकॉर्ड,,

बिन सोचे माँ, बहनों को छेड़े,
उनको मिलता चप्पल अवार्ड,,.......

इसके अलावा और बहुत कुछ,
हरिहार उतर जा क्षण भर में,,

होता स्वागत घूंसा, लात से,
जेल पहुंच जाए पल भर में,,

घर बाहर इज्जत होती थी,
फिर बातें करते मुंह सिकोड़,

चरित्रहीन प्रचार फैल जा,
सभी कहें लड़का है फ़्रॉड,,

इस कविता को पढ़कर इंसान बन जाओ,
भूल कर इस मार्ग में कदम ना बढ़ाओ,,

इस अवॉर्ड से मरना बेहतर,
स्वर्ग में यमराज का कोर्ट,,

महा मूर्ख समझ ना पाए,
वोही ही ले चप्पल अवॉर्ड,,...........

सुनील कुमार कविता में लिखते,
जिसका नंबर, नाही कोड,,

खुल्ला मार्ग चारो ओर से,
ले जाओ चप्पल अवॉर्ड,,

बिन सोचे माँ, बहनों को छेड़े,
उनको मिलता चप्पल अवॉर्ड,,.......