नेता एक राजा होता है
राज राज की बात नहीं, नेता रणनीति चलते है,
कभी मंदिर, मस्जिद पहलू ले , कभी धर्म की आड़ पकड़ते है,,
जिस कारण नेता बने हुए, वो काम ध्यान में नहीं आता ,
बेरोजगारी मेह्गाई को आकाश भी नीचा पड़ जाता,,
जिसको आरक्षण देना था, वो तो भुखमरी से मरते है,,
कभी मंदिर मस्जिद पहलू ले , आपस में रोज झगड़ते है ..... (१)
सीमा पर जान गवाने को , माँ, बाप व घर का त्याग किया ,,
हस्ते हस्ते वो शहीद हुए, उनके परिवारों को क्या दिया,,
आमंदनी कर दूना करके , नेता अपना घर भरते है ,,
मेहनत कस खाना खा न सके , नेता होटल में चरते है ,,
गरीब को न अच्छी शिक्षा न रोजगार कुछ मिलते है ,
कभी मंदिर मस्जिद पहलु ले , आपस में रोज झगड़ते है ....... (२)
कहीं अत्याचार , कहीं भ्रस्टाचार , कहीं गुंडागर्दी की खबर सुनें,
कितनी भोली - भाली ये जनता जो ऐसे नेता को ही चुने ,
किसी ने तीर्थ भ्रमड़ करके , अपने ही जीवन सफल किया ,,
अच्छे दिन आने वाले थे क्या वो दिन आपने देख लिया ,,
मधुर भासिनी नेता सब , जनता के दिल को जकड़ते है ,,
कभी मंदिर , मस्जिद पहलू ले , आपस में रोज झगड़ते है ....... (३ )
जातिवाद के इस कलंक को नेता चाहे तो हर सकते ,
सब एक समान होकर के चलै, और अपनी राह पकड़ सकते ,,
जब तक मत- भेद न दूर होएं , तब तक न देश सुधर पाए ,
धर्मानुसार सब काम करें , तरक्की का मार्ग बन जाये ,,
व्यर्थ का खर्चा बंद करो , क्यों अंधकार में भटकते है ,,
कभी मंदिर , मस्जिद पहलू ले , आपस में रोज झगड़ते है ........(४)
जो होना है वो टला नहीं , अपनी मेहनत को पकड़ो तुम ,,
ईश्वर तो कण कण वाशी है , क्यों मंदिर मस्जिद भटको तुम ,,
सत्य वचन और सत्य करम , इस जग के मुक्ति दाता हैं ,,
रोटी कपडा और मकान राजा का लक्ष्य कहाता है ,,
नेता राजश्वी होता है , सुनील के काव्य भड़कते है ,,
कभी मंदिर मस्जिद पहलू ले , आपस में रोज झगड़ते है .........(५)
राज राज की बात नहीं, नेता रणनीति चलते है,
कभी मंदिर, मस्जिद पहलू ले , कभी धर्म की आड़ पकड़ते है,,
जिस कारण नेता बने हुए, वो काम ध्यान में नहीं आता ,
बेरोजगारी मेह्गाई को आकाश भी नीचा पड़ जाता,,
जिसको आरक्षण देना था, वो तो भुखमरी से मरते है,,
कभी मंदिर मस्जिद पहलू ले , आपस में रोज झगड़ते है ..... (१)
सीमा पर जान गवाने को , माँ, बाप व घर का त्याग किया ,,
हस्ते हस्ते वो शहीद हुए, उनके परिवारों को क्या दिया,,
आमंदनी कर दूना करके , नेता अपना घर भरते है ,,
मेहनत कस खाना खा न सके , नेता होटल में चरते है ,,
गरीब को न अच्छी शिक्षा न रोजगार कुछ मिलते है ,
कभी मंदिर मस्जिद पहलु ले , आपस में रोज झगड़ते है ....... (२)
कहीं अत्याचार , कहीं भ्रस्टाचार , कहीं गुंडागर्दी की खबर सुनें,
कितनी भोली - भाली ये जनता जो ऐसे नेता को ही चुने ,
किसी ने तीर्थ भ्रमड़ करके , अपने ही जीवन सफल किया ,,
अच्छे दिन आने वाले थे क्या वो दिन आपने देख लिया ,,
मधुर भासिनी नेता सब , जनता के दिल को जकड़ते है ,,
कभी मंदिर , मस्जिद पहलू ले , आपस में रोज झगड़ते है ....... (३ )
जातिवाद के इस कलंक को नेता चाहे तो हर सकते ,
सब एक समान होकर के चलै, और अपनी राह पकड़ सकते ,,
जब तक मत- भेद न दूर होएं , तब तक न देश सुधर पाए ,
धर्मानुसार सब काम करें , तरक्की का मार्ग बन जाये ,,
व्यर्थ का खर्चा बंद करो , क्यों अंधकार में भटकते है ,,
कभी मंदिर , मस्जिद पहलू ले , आपस में रोज झगड़ते है ........(४)
जो होना है वो टला नहीं , अपनी मेहनत को पकड़ो तुम ,,
ईश्वर तो कण कण वाशी है , क्यों मंदिर मस्जिद भटको तुम ,,
सत्य वचन और सत्य करम , इस जग के मुक्ति दाता हैं ,,
रोटी कपडा और मकान राजा का लक्ष्य कहाता है ,,
नेता राजश्वी होता है , सुनील के काव्य भड़कते है ,,
कभी मंदिर मस्जिद पहलू ले , आपस में रोज झगड़ते है .........(५)