आज में पक्षी के रहस्यमई रूप का वर्णन करने की कोसिस कर रहा हूँ, आशा करता हूं, आपका स्नेह, आशीर्वाद अर्जित कर सकूं।
पक्षी का रहस्य
विचित्र रहस्य पक्षी मन बसि हैं,
धूप, छांव, भूख, प्यास सब तजि हैं,,
मेहनत कस तन, मन हि बनावहिं,
लक्ष्य निरखि मानव हिय लजि हैं,,
ताकी लगन अनौखी शान,
श्रेष्ठ बुलंदी लखि असमान,,.....
श्याम, गौर का भेद न ताके,
विकल, विफल नहिं उर बसि जाके,,
भक्ति, भावना श्रेष्ठ सुहाइहिं,
नित्य नेम गुड़गान भगवां के,,
ना छल-कपटी राग अरु तान,
श्रेष्ठ बुलन्दी लखि असमान,,.....
दिवस जाइ और रैन बितावै,
खा फल फुलहिं मौज उड़ावै,,
भोर होइहि मानव को जगाते,
अपने स्वर में सब बतलाते,,
इत-उत भरते मधुर उड़ान,
श्रेष्ठ बुलन्दी लखि असमान,,......
चारों दिश कौलाहल सोहे,
ताकी ध्वनि अंतर्मन मोहे,,
कोई राग सुरीला गावै,
कोई कांव, कांव चिल्लावै,,
पीहुँ, पीहुँ कर गाइ पपैया,
चातक, मोर सुंदर कोयलियाँ,,
इनकी महिमा अति महान,
श्रेष्ठ बुलन्दी लखि असमान,,.....
दादुर टर्र, टर्र करि गावै,
लाखों भाषा में स्वर पावै,,
मन मोहक है अजब कहानी,
आलस त्याग बने बरदानी,,
सुनील कुमार कथि सार ही शान,
श्रेष्ठ बुलन्दी अति स्वर्ग की खान,,...
🙏🙏सादर अर्पित।🙏🙏
सुनील कुमार
पक्षी का रहस्य
विचित्र रहस्य पक्षी मन बसि हैं,
धूप, छांव, भूख, प्यास सब तजि हैं,,
मेहनत कस तन, मन हि बनावहिं,
लक्ष्य निरखि मानव हिय लजि हैं,,
ताकी लगन अनौखी शान,
श्रेष्ठ बुलंदी लखि असमान,,.....
श्याम, गौर का भेद न ताके,
विकल, विफल नहिं उर बसि जाके,,
भक्ति, भावना श्रेष्ठ सुहाइहिं,
नित्य नेम गुड़गान भगवां के,,
ना छल-कपटी राग अरु तान,
श्रेष्ठ बुलन्दी लखि असमान,,.....
दिवस जाइ और रैन बितावै,
खा फल फुलहिं मौज उड़ावै,,
भोर होइहि मानव को जगाते,
अपने स्वर में सब बतलाते,,
इत-उत भरते मधुर उड़ान,
श्रेष्ठ बुलन्दी लखि असमान,,......
चारों दिश कौलाहल सोहे,
ताकी ध्वनि अंतर्मन मोहे,,
कोई राग सुरीला गावै,
कोई कांव, कांव चिल्लावै,,
पीहुँ, पीहुँ कर गाइ पपैया,
चातक, मोर सुंदर कोयलियाँ,,
इनकी महिमा अति महान,
श्रेष्ठ बुलन्दी लखि असमान,,.....
दादुर टर्र, टर्र करि गावै,
लाखों भाषा में स्वर पावै,,
मन मोहक है अजब कहानी,
आलस त्याग बने बरदानी,,
सुनील कुमार कथि सार ही शान,
श्रेष्ठ बुलन्दी अति स्वर्ग की खान,,...
🙏🙏सादर अर्पित।🙏🙏
सुनील कुमार
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें